हिंदू धर्म में कई प्रमुख देवता हैं, और उनमें से एक प्रमुख देवता भगवान विष्णु हैं। भगवान विष्णु को संसार के पालनकर्ता के रूप में माना जाता है। वह हिंदू धर्म के त्रिदेवों में से एक हैं, जहां ब्रह्मा सृष्टि के रचयिता, विष्णु सृष्टि के पालक, और शिव सृष्टि के संहारक माने जाते हैं।
भगवान विष्णु के प्रमुख रूप और अवतार
भगवान विष्णु के विभिन्न रूपों और अवतारों में उनकी पूजा की जाती है। उनके दस अवतार, जिन्हें ‘दशावतार’ के नाम से जाना जाता है, विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं। इनमें से कुछ प्रमुख अवतार हैं:
- मत्स्य अवतार (मछली के रूप में) – समुद्र मंथन के समय वे मत्स्य रूप में प्रकट हुए।
- कूर्म अवतार (कच्छप या कछुए के रूप में) – समुद्र मंथन के समय उन्होंने कच्छप रूप में मंदराचल पर्वत को अपने पीठ पर धारण किया।
- वराह अवतार (सूअर के रूप में) – पृथ्वी को समुद्र से निकालने के लिए वराह रूप में अवतरित हुए।
- नृसिंह अवतार (अर्ध-मनुष्य और अर्ध-सिंह के रूप में) – हिरण्यकश्यप का वध करने के लिए नृसिंह रूप में प्रकट हुए।
- वामन अवतार (बौने ब्राह्मण के रूप में) – राजा बलि के अहंकार को समाप्त करने के लिए वामन रूप में अवतरित हुए।
- परशुराम अवतार – उन्होंने अधर्मियों का संहार किया और धर्म की स्थापना की।
- राम अवतार – रावण का वध कर धर्म की स्थापना की।
- कृष्ण अवतार – महाभारत के समय गीता का उपदेश दिया और अधर्म का नाश किया।
- बुद्ध अवतार – बौद्ध धर्म की स्थापना की और अहिंसा का संदेश दिया।
- कल्कि अवतार (भविष्य में अवतरित होंगे) – कलियुग के अंत में अधर्म का नाश करेंगे।
भगवान विष्णु की पूजा
भगवान विष्णु की पूजा विभिन्न रूपों में की जाती है। उनके अनुयायी उन्हें भक्तिभाव से पूजते हैं और उनके अवतारों की कथाएँ सुनते और सुनाते हैं। विष्णु के अवतारों में विशेष रूप से श्रीराम और श्रीकृष्ण की पूजा बहुत लोकप्रिय है।
विष्णु जी का प्रमुख प्रतीक ‘शंख’, ‘चक्र’, ‘गदा’, और ‘पद्म’ है। उनके वाहन गरुड़ (पक्षी) हैं, और वे क्षीरसागर में अनंत शेषनाग पर विराजमान रहते हैं। विष्णु जी की पत्नी माता लक्ष्मी हैं, जो धन और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं।
भगवान विष्णु का भक्तों में विशेष स्थान है, क्योंकि वे उन्हें जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति दिलाने वाले और धर्म की स्थापना करने वाले देवता के रूप में मानते हैं। उनकी पूजा से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।