श्री राम के 108 प्रमुख नामों का अत्यधिक धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। ये नाम भगवान राम के विभिन्न गुणों, कार्यों और विशेषताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। प्रत्येक नाम उनका एक अलग पहलू उजागर करता है। यहां श्री राम के 108 नाम और उनका अर्थ दिए गए हैं:
- राम – जो सभी को आनंद प्रदान करते हैं।
- रामभद्र – सौम्य और शांत।
- रामचंद्र – चंद्रमा के समान शीतल और सुंदर।
- शश्वत – शाश्वत और अविनाशी।
- राजीवलोचन – कमल जैसे सुंदर नेत्र वाले।
- श्रिमान – संपन्न और सन्मानित।
- रजनीकर – रात्रि का प्रकाश देने वाले।
- श्रीराम – लक्ष्मीपति, सौंदर्य और वैभव के स्वामी।
- धर्मात्मा – धार्मिकता के मार्ग पर चलने वाले।
- धन्वी – धनुषधारी।
- महावीर – वीरता और शक्ति के प्रतीक।
- राघव – रघुकुल के वंशज।
- जानकीवल्लभ – जानकी (सीता) के प्रिय।
- सत्यवाक्य – सत्य बोलने वाले।
- सत्यविक्रम – सच्चे वीरता वाले।
- सत्यव्रत – सत्य में स्थित।
- व्रजप्राण – ब्रजवासियों की प्राण।
- प्राणनाथ – सभी के प्राणों के स्वामी।
- प्रियम्भद – प्रियतम और सौम्य।
- सेतुकृत् – जो लोगों को जोड़ने वाले हैं (रामसेतु बनाने वाले)।
- वीराधवान – वीरों के अधिपति।
- सर्वयज्ञ – सभी यज्ञों के मुख्य देवता।
- समर्थ – हर कार्य में सक्षम।
- हरि – कष्टों को हरने वाले।
- श्रीधर – लक्ष्मी के पति।
- रिपुदमन – शत्रुओं को पराजित करने वाले।
- सुग्रीवसहाय – सुग्रीव के सहायक।
- हनूमद्रक्षक – हनुमान के रक्षक।
- दशरथनन्दन – दशरथ के पुत्र।
- सर्वदेवाधिदेव – सभी देवताओं के देवता।
- अजेय – जिनकी कभी हार नहीं होती।
- काकुत्स्थ – काकुत्स्थ कुल के सदस्य।
- पूज्य – सभी के पूजनीय।
- तेजस्वी – तेजस्विता से भरपूर।
- विक्रमवान – बहादुरी से परिपूर्ण।
- सर्वदेवस्तुत – सभी देवताओं द्वारा स्तुत्य।
- सीतापति – सीता के पति।
- विभीषणप्रियंकर – विभीषण के प्रिय।
- जितेन्द्रिय – इंद्रियों पर विजय प्राप्त करने वाले।
- जीवितेश – जीवन देने वाले।
- धनुर्धर – धनुषधारी।
- सर्वयज्ञपति – सभी यज्ञों के स्वामी।
- क्षिप्रकरण – शीघ्र कार्य करने वाले।
- वेदांग – वेदों के अंग।
- सर्वावास – जो सबमें विद्यमान हैं।
- हरिनेत्र – जिनके नेत्र हरि के समान हैं।
- सुग्रीवसखा – सुग्रीव के मित्र।
- समन्वित – समस्त गुणों से युक्त।
- ह्रद्य – ह्रदय को छूने वाले।
- जगदीश्वर – संसार के ईश्वर।
- जगन्नाथ – संसार के स्वामी।
- वेदविद् – जो वेदों को जानते हैं।
- समग्रभक्तिकर्ता – सम्पूर्ण भक्ति देने वाले।
- आनंदकंद – आनंद का मूल स्रोत।
- स्वयंप्रभु – स्वयं प्रभा से युक्त।
- तारक – मुक्ति देने वाले।
- मृत्युमर्दन – मृत्यु को हराने वाले।
- नियतात्मा – जिनका आत्मा संयमित है।
- सुशील – विनम्र और गुणी।
- शांत – शांति से युक्त।
- कपिकेशव – कपियों के रक्षक।
- तुलसीप्रिय – तुलसी के प्रिय।
- भक्तवश्य – भक्तों के वश में रहने वाले।
- भव्यानंद – दिव्य आनंद देने वाले।
- सर्वज्ञ – सर्वज्ञानी।
- ऋषिकेश – ऋषियों के ईश्वर।
- धैर्यवान – धैर्य से युक्त।
- आर्य – श्रेष्ठ पुरुष।
- राघवेंद्र – रघुकुल के स्वामी।
- मोहजित – मोह पर विजय प्राप्त करने वाले।
- राजिवाक्ष – कमल के नेत्र वाले।
- रक्षोघ्न – राक्षसों को नाश करने वाले।
- विजयी – विजेता।
- दुर्जय – अजेय।
- नित्यनुत्य – नित्य स्तुत्य।
- धनुर्विद्या – धनुर्विद्या में पारंगत।
- चंद्रानन – चंद्रमा के समान मुख वाले।
- कामजनक – कामनाओं को उत्पन्न करने वाले।
- कौशलेश – कौशल्या के पुत्र।
- अमितविक्रम – असीमित पराक्रम वाले।
- सर्वसाक्षी – सबके साक्षी।
- वसुप्रद – संपत्ति देने वाले।
- कृतिन – कर्तव्यशील।
- समरांगणवीर – युद्ध क्षेत्र के वीर।
- सर्वशक्तिमान – सर्वशक्तिशाली।
- सौमित्रिसहचरी – लक्ष्मण के सहायक।
- सर्वदेवमयी – सभी देवताओं के अंश से युक्त।
- सर्वज्ञ – समस्त ज्ञान रखने वाले।
- अद्वितीय – जिनके समान कोई नहीं।
- कांचनांग – स्वर्ण के समान शरीर वाले।
- विज्ञानवान – ज्ञानवान।
- रम्यचरित्र – सुंदर चरित्र वाले।
- महाप्रतापी – महान प्रताप वाले।
- धनुर्धारी – धनुषधारी।
- शरणागतवत्सल – शरणागतों से स्नेह करने वाले।
- पावन – पवित्रता के प्रतीक।
- पद्मनाभ – जिनकी नाभि में कमल है।
- शत्रुघ्न – शत्रुओं का नाश करने वाले।
- सत्यपराक्रम – सच्ची पराक्रमता वाले।
- दुष्टदमन – दुष्टों का दमन करने वाले।
- आशुतोष – शीघ्र प्रसन्न होने वाले।
- रुद्रसहाय – रुद्र के सहायक।
- आदिपुरुष – सृष्टि के आदिपुरुष।
- सीतारमण – सीता के प्रिय।
- कुमारगुरु – कुमारों के शिक्षक।
- रामविलास – राम के आनंदमय स्वरूप।
- लंकादहन – जिन्होंने लंका का दहन किया।
- सर्वत्रसिद्ध – सब जगह सिद्ध और विजयी।
ये 108 नाम भगवान श्रीराम की महिमा और उनके अद्वितीय व्यक्तित्व को दर्शाते हैं।